बलोदाबाजार
फागुलाल रात्रे लवन।
फागुलाल रात्रे लवन।
बदलते जमाने के साथ नशे के तौर तरीके में भी बदलाव आया है। गांजा और शराब की जगह इन दिनों कोकीन, चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर ने ले ली हैं। वही कच्ची शराब, महुए की दारू के बदले ग्रामीण अंचल में विदेशी ब्रांडेड शराब पसंद की जा रही है। युवा आधुनिकता के नशे को अंगीकार कर रहे हैं और ग्रामीण इलाकों के लोग रॉकेट, सनन जैसी घातक नशे का शिकार होने लगी है। नशे की एक अलग विकसित तहजीब ने लवन अंचल सहित आसपास की गावों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।
एक अनुमान के मुताबिक, युवाओं की आधी से ज्यादा आबादी इन दिनों नशे के अनुचित तरीकों को अपनाकर अपना वर्तमान और भविष्य दोनों खराब कर रही है। क्षेत्र में अनिंद्रा रोग में काम आने वाली नाइट्रोवेट नामक गोलियां युवाओं के लिए शराब का और मंदाग्नि, कब्ज नाशक, शक्ति वर्धक आयुर्वेदिक गोली के नाम से बिकने वाली सनन भांग के नशे का विकल्प बन गई है। शराब की बनिस्पत कम कीमत पर उपलब्ध नाइट्रोवेट और सनन युवाओं को लगभग लतेड़ी बना चुकी है।
सहज सुलभ गोलियां
डाक्टर्स के द्वारा लिखी हुई स्लिप के बिना नहीं मिलने वाली दवाएं अनेक दुकानों पर सहज सुलभ हो जाती है। सनन का बाजार इस कदर फैला हुआ है कि किराने से लेकर पान ठेलों तक इन्हें आसानी से कही भी खरीदा जा सकता है। क्षेत्र के एक नशेड़ी युवा ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पहले वह रैकेट का पूरा पत्ता दिन भर में उपभोग कर लेता था। लोगों की समझाइश पर अब उसके इसमें कर्मी कर ली है और धीरे-धीरे ही सही इससे मुक्ति की तरफ कदम बढ़ा रहा है।
उसने बताया युवाओं को तबाह कर देने वाले इस शौक के पीछे इनकी सस्ती कीमत है। बेचने वाले दुकानदार इन्हें मेडिकल स्टोर्स एवं खाई खजाना की दुकान से खरीद कर ले आते है और भरोसेमंद नशोड़ियों को ही अच्छी जान पहचान के बाद बेचते है। सनन की गोलियां इन दिनों हर एक पान ठेला एवं किराने की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हो रहे है। कुछ लोगों को कहना है कि रॉकेट का नशा इंसा को पागलपन की हद तक पहुंचाता है।
शरीर पर गहरा असर
शराब, भांग, गांजा की जगह अपनाए गए नए नशे ने युवाओं को बर्बादी की कगार पर ला दिया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवन में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी डॉ नवदीप बांधे ने कहा कि अपने आप में खोए रहना अक्रामकता सोचने विचारने की क्षमता नही हो पाना, सही-गलत निर्णय नहीं ले पाना, नशे में धुत रहना, डरना, घबराना, सोच में बदलाव आना, खाने-पीने की इच्छा कम होना, अपने आपको चोंट पहुंचाना या किसी को नुकसान पहुंचाना, ज्यादा सेवन से झटका, उल्टी, बेहोशी, कोमा तथा अध्यधिक सेवन करने से मृत्यु हो जाता है। इसलिए इस प्रकार का नशे से लोग दूर रहे। इसे सामान्य नशा न समझे इससे दूर रहे। उन्होंने बताया कि ऐसे गैर परंपरागत नशेड़ियों में झूठ बोलने, धोखाधड़ी करने नशे के लिए चोरी तक करना स्वाभाव बन सकता है। इस नशे के शौक धीरे-धीरे उन्हें नशेड़ी बना देता है और फिर सही गलत की पहचान करना उनके बस की बात नहीं रहता है। बेहद उदासी, बैचेनी, गुस्सा, आक्रोश, अर्हदमूर्छा और अनिद्रा के लक्षण उनका स्वाभाव बन जाते है।
नशामुक्ति अभियान एक सार्थक पहल
नशा मुक्ति अभियान एक सार्थक पहल है। इस पहल से लोगों का परिवार बच जाता है। विभिन्न संगठनो के लोग इससे जुड़कर नशा मुक्ति अभियान चला रहे है। लोगों को भी इस ओर जुड़कर नशा मुक्त भारत की ओर बढ़ना चाहिए। तभी एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण हो सकेगा।