कसडोल विधानसभा क्षेत्र में अब तक एक भी निर्दलीय उम्मीदवार जीत नहीं पाया
बलौदाबाज़ार,
फागूलाल रात्रे, लवन। कसडोल विधानसभा क्षेत्र छ.ग. का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्रों में आता है। यहा अब तक चुनाव में एक भी निर्दलीय उम्मीदवार जीत नहीं पाया है। यहंा हमेशा ही राष्ट्रीय पार्टियां ही जीत दर्ज करती आ रही है। चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा हो। प्रमुख दल के प्रत्याशी को ही यहंा पर जीत हासिल होती रही है। इस सीट से भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को जीत मिली है। बहरहाल कसडोल विधानसभा में अब तक कई निर्दलीय उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा चूके है, जिसमें कई शख्सियतें भी शामिल रही है। लेकिन शख्सियतों के आगे भी यहंा पर राजनीतिक दल को ही जनता ने महत्व दिया है। इससे यह स्पष्ट होती है कि कसडोल विधानसभा में व्यक्ति नहीं हमेशा से ही पार्टी विशेष रही है। निर्दलीय उम्मीदवार को चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा। चुनाव में कई ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी भी होते है, जिन्हें सौ वोट भी नहीं मिलते है। हालांकि, इनके चुनाव लड़ने से आयोग का खर्च जरूर बढ़ जाता है। वही, इस बार कांग्रेस से संदीप साहू को चुनाव मैदान में उतारा गया है, तो दूसरी ओर भाजपा ने धनीराम धीवर को चुनाव में उतारा है। दोनो राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा जनता कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी से भी उम्मीदवार उतारा गया। वही, काफी दिनों से प्रचार-प्रसार में लगे कांग्रेस पार्टी के गोरेलाल साहू जो जिला पंचायत सदस्य रह चूके है, तथा अन्य विभिन्न पदों पर आसीन हो चूके है। कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भाग्य आजमा रहे है। लेकिन निर्दलीय के लिए राह आसान नहीं है। कसडोल विधानसभा क्षेत्र में लगभग 350 गांव आते है, जहंा एक हजार से भी ज्यादा कार्यकर्ताओं की जरूरत होगी। पोलिंग बूथों पर एजेंटो की भी व्यवस्था करनी पड़ेगी। इन सबका बजट भी निश्चित तौर पर भारी होगा। इसलिए निर्दलीय प्रत्याशियों की राह आसान नही ंहोगी। खासतौर पर कसडोल विधानसभा एक बड़ी विधानसभा क्षेत्र के रूप में गिनी जाती है। यहंा हमेशा ही राष्ट्रीय पार्टियों का ही कब्जा रहता है। बहरहाल इस बार कसडोल विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष होने के आसार नजर आ रहे है।