बलौदाबाजार,
फागूलाल रात्रे, लवन।
फागूलाल रात्रे, लवन।
मनखे मनखे एक समान सत्य अहिंसा और समानता के प्रतीक सतनाम पंथ के संस्थापक बाबा गुरु घासीदास की जयंती ग्राम पंचायत भरवाड़ीह में धूमधाम से मनाया गया। जयंती के अवसर पर ग्राम पंचायत भरवाड़ीह के सरपंच नरेंद्र कश्यप पंचायत सचिव हरिकिशन वर्मा की मुख्य अतिथ्य में ग्राम वासियों द्वारा मध्य निषेध का संकल्प लिया गया। ग्राम पंचायत भरवाड़ीह के सरपंच नरेंद्र कश्यप एवं पंचायत सचिव हरिकिशन वर्मा द्वारा बाबा गुरु घासीदास के जीवन परिचय के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया गया कि बाबा गुरु घासीदास जयंती 18 दिसंबर को मनाई जाती है, जो सतनामी समाज के संस्थापक और एक महान संत थे। उनका जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी गांव में हुआ था। उन्होंने समाज में व्याप्त जातिगत विषमताओं और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और “मनखे-मनखे एक समान” का संदेश दिया। उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और सभी को समानता का अधिकार दिया। पशुओं से प्रेम करने और उनके साथ क्रूरता से व्यवहार न करने की शिक्षा दी। नशा और जुआ से दूर रहने का उपदेश दिया। व्यभिचार से बचने और स्त्री को माता के समान मानने की शिक्षा दी। गुरु घासीदास की जयंती पर छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है और इस दिन को ड्राई डे भी घोषित किया गया है। इस अवसर पर सतनामी समाज के लोग अपने घरों में पूजा-अर्चना करते हैं और पंथी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं। गुरु घासीदास के विचार और संदेश आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को एकता और सद्भाव की दिशा में प्रेरित करते हैं।











