बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
ग्राम कोरदा के मुख्य रामायण चौक पर रविवार 25 फरवरी को कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हो गया है। यह कलश यात्रा गांव के मुख्य रामायण चौक से प्रारंभ होकर मुख्य गली मोहल्लों से होकर महामाया मंदिर से वापस कथा स्थल पहुंचकर संपन्न हुई।
पहले दिन धमतरी वाले महराज पंडित मनोज दुबे ने श्रीमद् भागवत के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा, ऐसी कथा है, जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत कथा होती है, इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक उर्जा से सशक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे हम अपने जीवन और व्यवहार में धारण करें। श्रीमद्भागवत कथा के श्रावण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में ये श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वो तीर्थ स्थल कहलाता है। इसका सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु प्रेमियां को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है। इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अगर कोई सात दिन तक किसी व्यवस्तता के कारण नहीं सुन सकता है, तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकालें। तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है। इसके सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ साथ मोक्ष को प्राप्त करता है। पंडित दुबे ने बताया कि इस कथा को सबसे पहले अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने सुना था, जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्य़ु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था। कोरदा में चल रहे भागवत कथा को सफल बनाने में आयोजक समिति के साथ ही साथ ग्रामवासियों का सहयोग मिल रहा है।