भक्तों पर संकट आने पर भगवान स्वयं आकर भक्तों के कष्टो को हर लेता है – पं. ओझा
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
ग्राम कोरदा में खूबचंद वर्मा एवं श्रीमती मोमबाई वर्मा तथा श्रीमती स्वर्गीय सहोदरा बाई, हीरालाल वर्मा, स्वर्गीय फेरहि बाई एवं स्वर्गीय जगदीश वर्मा की स्मृति में खूबचंद वर्मा के यहां श्रीमद् भागवत कथा आयोजित किया जा रहा है। इस संगीतमय श्रीमद भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तीसरे दिन कथा वाचक पंडित नील कमल ओझा सारंगढ़ ने सती चरित्र व भक्त ध्रुव की कथा का मार्मिक वर्णन किया है। कथा को सुनकर सभी श्रोता भावविभोर हो उठे। उन्होंने कहा कि भगवान की लीला का कोई पार नहीं पाया है। उन्होंने माता सती की कथा को विस्तार से बताते हुए कहा कि माता सती के पिता दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया और उसमें अपने सभी संबंधियों को बुलाया लेकिन बेटी सती के पति भगवान शंकर को नहीं बुलाया। जब सती को यह बात पता चली तो उन्हें बड़ा दुख हुआ और उन्होंने भगवान शिव से उस यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी लेकिन भगवान शिव ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि बिना बुलाए कहीं जाने से इंसान के सम्मान में कमी आती है। लेकिन माता सती नहीं मानी और राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में पहुंच गई। वहां पहुंचने पर सती ने अपने पिता सहित सभी को बुरा भला कहा और स्वयं को यज्ञ अग्नि में स्वाहा कर दिया। जब भगवान शिव को ये बात पता चली तो उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर राजा दक्ष की समस्त नगरी को तहस-नहस कर दिया और सती के मृतक शरीर को लेकर इधर-उधर घूमते रहे। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए। जहां उनके शरीर का टुकड़ा गिरा वहां-वहां शक्तिपीठ बन गया। पंडित श्री ओझा ने ध्रुव कथा प्रसंग में बताया कि सौतेली मां द्वारा अपमानित होकर बालक ध्रुव कठोर तपस्या के लिए जंगल को चल पड़े। बारिश, आंधी-तूफान के बावजूद तपस्या न डिगने पर भगवान प्रगट हुए और उन्हें अटल पदवी दी। इस प्रकार कथा का सार है कि भक्त ध्रुव ने भी भक्ति में लीन रहकर उस प्रकाश को पा लिया। इसे पाने के लिए लोग पूरा जीवन तपस्या में लगा देते है। कहने का तात्पर्य यह है कि भगवान अंतर्यामी है। वह सब कुछ देखता व जानता है। ईश्वर का जाप करने वाले पर आई मुसीबत को स्वयं ईश्वर आकर मद्द करता है। जब जब भक्तों पर संकट आता है भगवान उसकी रक्षा के लिए खुद ही आगे आकर कष्टों को हर लेते है। कथा के मौके पर मृत्युजंय वर्मा, जोगेन्द्र वर्मा, गनपत वर्मा, मोरध्वज वर्मा, दऊवा वर्मा, झाडूराम वर्मा, जवाहर लाल वर्मा, जदून वर्मा, तेजू वर्मा, रज्जू वर्मा, भेषराम वर्मा, गेंदराम वर्मा, रोमलाल वर्मा, चतुरमुर्ति वर्मा, तोलेश वर्मा, राजेन्द्र वर्मा, चन्द्रमणी वर्मा, कमल वर्मा, रामप्रसाद वर्मा, दुखूराम वर्मा, खुशीलाल वर्मा, दिव्या वर्मा, फागुलाल रात्रे, सहित गांव की महिला श्रोता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।