बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
ग्राम पंचायत अहिल्दा में संस्कार सामजिक संगठन एवं ग्रामवासियों के संयुक्त तत्वाधान में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन चल रहा है। कथा वाचक पंडित गौरव जोशी ने भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र, उद्धव संवाद का वर्णन किया। उन्होंने प्रवर्चन में कहा कि सुदामा एक दरिद्र ब्राम्हण थे, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में शिक्षा ली थी। दरिद्रता तो जैसे सुदामा की चिरसंगिनी ही थी एक टुटी हुई झोपड़ी, दो-चार पात्र और लज्जा ढकने के लिये कुछ मैले और चिथड़े वस्त्र, सुदामा की कुल इतनी ही गृहस्थी थी। दरिद्रता के कारण अपार कष्ट पाना पड़ा। पत्नि की आग्रह को स्वीकार कर कृष्ण दर्शन की लालसा मन में संजोये हुए सुदामा कई दिनों की यात्रा करके द्वारका पहुंचे। द्वारपाल के मुख से सुदामा शब्द सुनते ही भगवान श्रीकृष्ण ने जैसे अपनी सुध-बूध खो दी और वह नंगे पांव ही दौड़ पड़े द्वार की ओर। दोनों बाहें फैलाकर उन्होंने सुदामा को हृदय से लगा लिया। भगवान श्रीकृष्ण सुदामा को अपने महल में ले गए। उन्होंने बचपन की प्रिय सखा को अपने पलंग पर बैठाकर उनका चरण धोया। कृष्ण के नेत्रों की वर्षा से ही मित्र के पैर धुल गये। सुदामा खाली हाथ अपने गांव की ओर लौट पड़े और मन ही मन सोचने लगे कृष्ण ने बिना कुछ दिए ही मुझे वापस आने दे दिया। सुदामा जब गांव पहुंचा तो देखा झोपड़ी के स्थान पर विशाल महल है इतने में सुदामा अकबका सा गया। कथा वाचक पंडित गौरव जोशी ने बताया कि कृष्ण ने बाताए बिना तमाम ऐश्वर्य सुदामा के घर भेज दिया। अब सुदामा जी साधारण गरीब ब्राम्हण नहीं रहे। उन्हें अनजान में ही भगवान ने उन्हें अतुल ऐश्वर्य का स्वामी बना दिया। किन्तु सुदामा ऐश्वर्य पाकर भी अनासक्त मन से भगवान के भजन में लगे रहे। गोपियों से उद्धव ने कहा गोपियों कृष्ण के नाम से रोना बंद करो। भगवान का नाम जपना शुरू करो।
पंडित जोशी ने उद्धव संवाद का वर्णन करते हुए कहा की सभी गोपियों ने कहा उद्धव तुम्हारा ज्ञान तुम्हारे पास रखो। हमारा तन कृष्ण है, मन कृष्ण है और रोम-रोम कृष्ण है। उद्धव हमारा एक मन था और वह कृष्ण के साथ चला गया। अब हम भगवान का भजन किस मन से करें, मन दस बीस नहीं है। उद्धव ने हर तरीके से गोपियों को ज्ञान का उपदेश देने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे। गोपियों का प्रेम उद्धव के ज्ञान पर हावी हो गया और ज्ञान प्रेम से हार गया। प्रेम ज्ञान से बड़ा होता है। प्रेम से भगवान को पाया जा सकता है। प्रेम ही पत्थर में भगवान देख सकता है। प्रेम से संसार को जीता जा सकता है। पंडित जोशी ने इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें दिन भगवान श्री कृष्ण के सर्वोपरी लीला श्री रास लीला, मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिए कंसबध, कुबजा उद्धार, रुक्मणी विवाह, शिशुपाल वध एवं सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। इस दौरान भजन गायन ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। ग्राम अहिल्दा में आयोजित भागवत कथा को सफ़ल बनाने में भागवत समिति के सदस्यों सहित ग्रामवासियो का सहयोग मिल रहा है।