बलौदाबाजार,
फागूलाल रात्रे, लवन।
फागूलाल रात्रे, लवन।
ग्राम अहिल्दा में फिरतराम साहू पत्नी मनियारा बाई साहू के यहां आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन 21 दिसम्बर से चल रहा है। इस संगीतमय श्रीमद भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन आचार्य गौरव जोशी ने सूर्यवंश वर्णन और कृष्ण जन्मोत्सव की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। कथावाचक पंडित गौरव जोशी ग्राम नगोई बिलासपुर वाले ने श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताया कि कलयुग में भागवत की कथा सुनने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही जन्म जन्मांतर के पापों का अंत भी होता है। भागवत कथा एक ऐसी कथा है, जिसे ग्रहण करने मात्र से ही मन को शांति मिलती है। भागवत कथा सुनने से अहंकार का नाश होता है। कथा वाचक पंडित गौरव जोशी ने कहा कि जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ने लगा तब गौ माता भगवान ब्रह्मा के पास पहुंची और उसका निवारण करने की बात कहने लगी तब भगवान ब्रह्मा ने गौ माता से कहा कि सृष्टि के सभी लोगों को प्रभु का ध्यान करना चाहिए। तब जाकर इस समस्या का समाधान होगा। गजेंद्र मोक्ष राम जन्म व कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कहां की तालाब में स्नान करने गए गजेंद्र का पैर घड़ियाल ने पकड़ लिया था। जिसकी पीड़ा से गजेंद्र परेशान थे और उन्होंने भगवान का स्मरण किया जिसके बाद भगवान नारायण पहुंचकर गजेंद्र को मुक्त कराया। इसके बाद अयोध्या में जन्मे भगवान श्रीराम की कथा सुनाई। राजा दशरथ महारानी कौशल्या के घर जन्म हुआ भगवान श्रीराम ने मर्यादा पुरुषोत्तम स्थापित कर मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाया। कृष्ण जन्म के प्रसंग शुरू होते ही पंडाल में मौजूद श्रद्धालु नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजनों के साथ झूम उठे। भगवान श्री कृष्ण की वेश में नन्हे बालक के दर्शन करने के लिए पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु लोग लालायित नजर आ रहे थे। कथावाचक जोशी ने कहा कि जब धरती पर चारों ओर त्राहि त्राहि मच गई चारों ओर अत्याचार अनाचार का साम्राज्य फैल गया और जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तब बंदी गृह में भगवान श्री कृष्ण ने देवकी के आठवें गर्भ के रूप में जन्म लिया। जिसके बाद वासुदेव ने नन्हे बालक को लेकर गोकुलधाम नंद बाबा यशोदा के पास छोड़ आए और वहां श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर कथावाचक पंडित गौरव जोशी ने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं का वर्णन किया। अहिल्दा में चल रहे भागवत कथा को श्रवण करने दूर-दूर से श्रद्वालु पहुंच रहे है।











