बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
जैसे-जैसे तकनीक में इजाफा हो रहा है, साइबर ठग भी उसी तरह ठगी का तरीका निकाल रहे है। पहले की अपेक्षा वर्तमान समय में ठगी की संख्या में इजाफा हो रहा है, लेकिन समाज में होने वाली चर्चा व लोक लाज के चलते पीडि़त इसकी शिकायत पुलिस से नहीं कर रहे है। वही, साइबर ठगी के अपराध आए दिन सामने आते रहते है। शातिर ठग लोगों को ठगने के लिए आये-दिन नए-नए हथकंडे अपनाते रहते है। अब ठगो ने एफआईआर के नाम से ठगना शुरू कर दिया है। पीडि़त के द्वारा जैसे ही पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज कराया गया। एफआईआर दर्ज होते ही पीडि़त के पास फोन काॅल्स आना शुरू हो गया। रूपये भेजने के लिए ठग के द्वारा लगातार डिमांड कर 15 हजार रूपये मंगा लिया गया। फिलहाल पुलिस ने उक्त रकम को साइबर सेल की मदद से होल्ड करा दिया गया है। मामला है बलौदाबाजार जिले के लवन थाना का। पीडि़त रामप्रवेश वर्मा के द्वारा 19 फरवरी को एक एफआईआर दर्ज कराया गया। एफआईआर दर्ज होने के बाद पीडि़त का नाम व मोबाईल नम्बर एफआईआर में दर्ज हो गया। जिसके बाद से पीडि़त के पास ठग का फोन काॅल्स आना भी शुरू हो गया। ठग अपने आपको पुलिस का बड़ा अधिकारी बताकर लगातार यह कहता रहा कि तुम्हारे लड़के को इंसाफ मिलेगा। चाकू से घटना को अंजाम देने वालों को सजा जरूर मिलेगा कहकर पीडि़त को अपने झांसे में ले लिया। पीडि़त भी पुलिस का बड़ा अधिकारी रूपये मांग रहा है कहकर उसके फोन पे नम्बर पर 15 हजार रूपये अपने पत्नि के गहने, जेवर को गिरवरी रखकर डलवा दिया। रूपये ठग के खाते में पहुंचने के बाद ठग का लालच खत्म नहीं हुआ। उसने बाकी के 10 हजार रूपये जल्द ही डलवा देने की बात कही गई। दरअसल ठग ने पीडि़त से 25 हजार रूपये का डिमांड किया था। उसके बाद पीडि़त व्यक्ति को लवन पुलिस के विवेचना अधिकारी ने उसी केस के सिलसिले में कुछ जानकारी पुछने के लिए बुलाया। वहंा पहुंचने के बाद बताया कि कोई पुलिस अधिकारी के द्वारा मुझसे 25 हजार रूपये का डिमांड किया जा रहा था। जिस पर पीडि़त ने पुलिस थाना में लगता होगा कहकर उसके खाते में 15 हजार रूपये डलवा दिया। उक्त बात को विवेचना अधिकारी को बताने के बाद विवेचना अधिकारी ने शीघ्र ही साइबर सेल बलौदाबाजार की मदद से रूपये को होल्ड कराया गया। फिलहाल ठग के द्वारा पीडि़त को निशाना बनाकर 15 हजार रूपये ठग लिया गया है। अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए मानसिक रूप से परेशान पीडि़त बाप ने ठग को रूपये दे डाले।
आखिर ठग को कैसे मिलता है नम्बर
दरअसल पुलिस की आफिसियल वेबसाइट से कोई भी थाने में दर्ज एफआईआर को देख सकता है। यह पुलिस सिस्टम में पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल में लगाया गया था। लेकिन बहुत से लोग अब इसका गलत इस्तेमाल कर रहे है। एफआईआर में मोबाईल नम्बर दिए होने से कई बार लोगों को फोन आते है। इससे सतर्क होने की आवश्यकता हैं।
क्या कहते है पुलिस अधीक्षक
ठगो के द्वारा आज कल विभिन्न प्रकार के तरीका निकालकर ठगी कर रहे है। इससे लोगों को सावधान रहना चाहिए। पुलिस कभी भी किसी से रूपये नहीं मागती है। कोई भी व्यक्ति ठगो के झांसे में न आये। सतर्क रहे, सावधान रहे। यदि ठगी का शिकार हो भी चूके है, तो पुलिस को शीघ्र ही बिना देर किए इसकी जानकारी दे। पुलिस उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगी।
सदानद कुमार, पुलिस अधीक्षक
जिला बलौदाबाजार