बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
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फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
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फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
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परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
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फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
परेशान कर रही भीषण गर्मी का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। झुलसन और सड़न जल्दी आने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में सस्ती बिकने वाली तोरई, भिडी, लौकी, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी लोगों को चौंका रहे हैं। ऊंचे दामों के चलते खाने की थाली झुलसी महसूस हो रही है और उससे पोषण कम हो रहा है।
भीषण गर्मी पड़ने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बल्कि हरी सब्जियों के दाम भी कई दिनों से आसमान छू रहे हैं। गर्मियों में आपूर्ति में कमी के कारण सामान्यत: सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर बरसात के मौसम में होती थी। लेकिन इस वर्ष दाम समय से पहले ही बढ़ गए हैं। इसकी वजह यह है कि अप्रैल मध्य से पारा लगातार चढ़ रहा है। जिसका असर उत्पादन और भंडारण पर पड़ रहा है। भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं। ऐसे में विक्रेता पूरी कीमत निकालने के लिए उन्हें महंगे दाम में बेच रहे हैं। एक ओर जहां सबसे अधिक खपत वाले आलू के दाम में इजाफा आया है। 10 रुपये प्रति किलो से बढ़कर ये 35 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं गर्मी की सस्ती सब्जी माने जाने वाली तोरई, भिडी, करेला, शिमला मिर्च, फली आदि 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रही हैं। गर्मियों में यही सब्जियां पौष्टिक, सुपाच्य और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन अधिक दाम के कारण ये गरीब वर्ग से दूर हैं। मध्यमवर्गीय लोग भी सब्जियों का बजट बिठाने में परेशान हैं और महंगी सब्जियों की कटौती कर रहे हैं। इन दिनों 30 और इससे कम दाम पर बिकने वाले टमाटर-लौकी भी 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। मिर्च भले ही ज्यादा तीखी न हो, लेकिन दाम खूब तीखे हैं। जो 80 रुपये किलो बिक रही है। हर सब्जी में जायका बढ़ाने वाला हरा धनिया 100 रुपिया किलो से भी अधिक बिक रहा है। लवन के सब्जी विक्रेता गनपत साहू ने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले वर्तमान में सब्जियों की आवक कम है। थोक में ही महंगी मिल रही है। इसके अलावा सड़ने पर भी नुकसान होता है।