श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन भक्ति की गूंज
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
ग्राम कोलिहा में वर्मा परिवार द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तीसरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कथा वाचक आचार्य तलाश कृष्ण पांडेय ने जब भक्त प्रह्लाद की अमर गाथा सुनाई, तो पंडाल में मौजूद हर श्रोता भक्ति और श्रद्धा से भावविभोर हो गया। तीसरे दिवस की कथा में ध्रुव चरित्र, सती चरित्र, जड़भरत और भक्त प्रह्लाद के जीवन प्रसंगों का संगीतमय और भावपूर्ण वर्णन हुआ। आचार्य पांडेय ने प्रह्लाद की कथा सुनाते हुए कहा जब भक्ति सच्ची हो, तो भगवान स्वयं अपने भक्त की रक्षा करने आते हैं। प्रह्लाद असुरराज हिरण्यकश्यप और कयाधु का पुत्र था, लेकिन उसके हृदय में बचपन से ही भगवान विष्णु के प्रति अटूट भक्ति थी। कथा के अनुसार, प्रह्लाद की माता ने गर्भावस्था में नारद जी से सत्संग पाया और हिरण्यकश्यप से 108 बार ‘नारायण-नारायण’ कहलवाया, जिससे गर्भ में ही प्रह्लाद विष्णु-भक्त बन गया। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को ईश्वर-भक्ति से रोकने के लिए कई प्रयास किए लेकिन प्रह्लाद अपनी आस्था से टस से मस नहीं हुआ। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान था, उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर जलाने की कोशिश की। लेकिन प्रभु की कृपा से चमत्कार हुआ। वह चादर जो होलिका को बचाती, हवा से उड़कर प्रह्लाद पर जा गिरी और होलिका भस्म हो गई। अंततः जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारना चाहा, तब भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार धारण कर गोधूलि वेला में चौखट पर बैठकर हिरण्यकश्यप का अंत कर दिया। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि ईश्वर अपने सच्चे भक्तों को कभी भी विपत्ति में अकेला नहीं छोड़ते। कथावाचक ने कहा प्रह्लाद का जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति में कितनी शक्ति होती है। यदि निष्ठा अडिग हो, तो भगवान स्वयं हमारी रक्षा करते हैं। इस पुण्य अवसर पर यजमान रामअवतार वर्मा सहित परिवार के सदस्य श्यामा बाई, पुष्पा बाई, रामसनेही, सुमन भाई, रामशंकर, हितेंद्र कुमार, पूजा वर्मा, रुक्मिणी वर्मा, शिवकुमार, राजकुमारी, बल्ला, सैल, मनीराम वर्मा, रानू, रेणु, रागिनी, रोशनी, रजनी, रुपनारायण, धनेश्वरी, आक्षिता एवं व्योम वर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।