कांग्रेस ने इसे अव्यावहारिक और शिक्षकों की गरिमा के विरूद्व बताया
बलौदाबाजार,
फागूलाल रात्रे, लवन।
फागूलाल रात्रे, लवन।
छत्तीसगढ़ का उच्च न्यायालय बिलासपुर ने छत्तीसगढ़ शासन को यह आदेशित किया की स्कूल के आसपास विचरण कर रहे आवारा कुत्तों व जानवरों की निगरानी करनी है। जिसके परिपालन में छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचनालय ने प्रिंसिपल, प्रधान पाठको एवं शिक्षकों की ड्यूटि आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए लगाया गया है। शिक्षक अब बच्चों के पढ़ाने के साथ ही साथ आवारा कुत्तों पर भी नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। इस नई जिम्मेदारी को कई शिक्षकों ने विरोध किया है, और कई शिक्षकों ने स्वागत किया है। वही, कांग्रेस ने इसे शिक्षकों की गरिमा के विरूद्व बताया।
पूर्व माध्यमिक शाला कोरदा के प्रधान पाठक ज्ञान प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि लोक शिक्षण संचनालय के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को आदेशित करते हुए प्रत्येक स्कूलों में नोडल अधिकारी बनाया गया है, जिसमें शाला परिसर के आसपास घुम रहे आवारा पशुओं एवं कुत्तों की निगरानी करें। साथ ही इसके संबंध में स्थानीय प्रशासन को इसके संबंध में सूचित किया जाना है। आवारा कुत्तों की निगरानी अन्य एजेंसी को दिया जाना चाहिए, ताकि बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह से प्रभावित न होवे। वर्तमान में एसआईआर के लिए शिक्षकों की ड्यूटि लगाई गई है, दिसम्बर माह में अर्द्ववार्षिक परीक्षा आयोजित होना है, शिक्षकों की ड्यूटि लगने से पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।
स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कल लवन के प्रभारी अभिषेक बैनर्जी का कहना है कि जहंा मध्यान्ह भोजन का संचालन होता है वहंा पर शिक्षकों की ड्यूटि लगाया जा रहा है। बच्चों को खाना परोसते समय शिक्षक मौजुद रहते है, साथ ही यहंा पर मध्यान्ह भोजन का संचालन कर रही समूहों को बता दिया गया है कि किसी भी प्रकार के आवारा जानवर या कुत्ता आसपास न आये। स्कूल परिसर पर किसी भी प्रकार का जानवर न आये इसके लिए स्कूल परिसर का गेट को लगा दिया जाता है। यहंा पर आवारा कुत्ते नहीं आते है। फिर भी स्कूल के तरफ से सतत निगरानी रखी जा रही है।
लवन ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुरूदयाल यादव ने कहा कि इस प्रकार का आदेश अव्यावहारिक है शिक्षकों की गरिमा के विरूद्व है। शिक्षको को पहले से कई गैर शिक्षकीय कार्यो का बोझ है, ऐसे में आवारा कुत्तों की निगरानी जैसी जिम्मेदारी देना अनुचित है। उनका कहना है कि कुत्तों की निगरानी व नियंत्रण स्थानीय प्रशासन का काम है जिसे शिक्षकों को थोपना सही नहीं है। शिक्षकों को एसआईआर का काम देने से शिक्षकों का कार्य पहले से ही बाधित हो रहा है, और इस तरह की अतिरिक्त जिम्मेदारियंा शिक्षक समुदाय की कार्य क्षमता को प्रभावित करती है।
स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी, हिन्दी माध्यम स्कूल के प्राचार्य हरिशंकर जोशी ने कहा कि यहंा इस स्कूल परिसर में किसी भी प्रकार का आवारा कुत्ते नहीं आते है। इसके साथ ही मध्यान्ह भोजन का संचालन करने वाली समूह एवं शिक्षकों को इसके संबंध में समझा दिया गया है कि किसी भी प्रकार के आवारा कुत्तों का प्रवेश इस विद्यालय में न हो।











