बलौदाबाजार,
संपादक, फागूलाल रात्रे, लवन।
संपादक, फागूलाल रात्रे, लवन।
जवाहर नवोदय विद्यालय लवन में छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के उपलक्ष्य में रजत जयंती समारोह एवं कर्नाटक राज्योत्सव बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया गया। छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस और कर्नाटक राज्योत्सव का एक साथ भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था इस मौके पर विद्यार्थियों व शिक्षकों में भारी उत्साह देखने को मिला। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला में, छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति को दर्शाने वाले पारंपरिक नृत्य और गीतों की मनमोहक प्रस्तुतियां दी गईं। वहीं, कर्नाटक की विरासत को उजागर करने के लिए कन्नड़ भाषी क्षेत्रों के इतिहास और महत्व पर विद्यार्थियों ने भाषण और नृत्य प्रस्तुत की। 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला था। यह दिन राज्यवासियों के लिए गर्व और उत्सव का अवसर होता है। साथ ही हर साल 1 नवम्बर को यह गौरवशाली दिन कर्नाटक राज्योत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता, जो कर्नाटक राज्य की स्थापना का प्रतीक है। यह दिन 1 नवंबर 1956 को दक्षिण भारत के कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को मिलाकर मैसूर राज्य (जिसे बाद में कर्नाटक नाम दिया गया) के गठन की याद दिलाता है। विद्यालय में दिन की शुरुआत प्रातः कालीन प्रार्थना सभा से हुई, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य एवं कर्नाटक राज्य से संबंधित प्रश्न मंच, विशेष जानकारियां, भाषण और विचार प्रस्तुत किए गए। तत्पश्चात मध्याह्नकाल में परम्परागत रूप से छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना पर रजत जयंती समारोह एवं कर्नाटक राज्योत्सव का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम के शरुआत में विद्यालय के प्राचार्य, सभी विद्वान शिक्षक एवं विदुषी शिक्षिकाओं को बैज, तिलक लगाकर पारम्परिक गमछा पहनाकर श्रीफल भेंट करते हुए स्वागत किया गया। जिसके बाद मां सरस्वती, छत्तीसगढ़ महतारी और कर्नाटक माता के छायाचित्रों के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, माल्यार्पण किया गया और छत्तीसगढ़ व कर्नाटक राज्य गीत गाया गया। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की गई, जिसमें छत्तीसगढ़ी और कन्नड़ लोकगीतों, नृत्यों और नाटकों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में मंच संचालन कक्षा 9 वीं के छात्राओं द्वारा छत्तीसगढ़ी बोली एवं कन्नड़ भाषा में किया गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ और कर्नाटक राज्य का संक्षिप्त, मधुर और कम शब्दों में सारगर्भित परिचय देते हुए कार्यक्रम प्रस्तुति के क्रम में सर्वप्रथम कक्षा 6 वीं के नन्हे छात्रों आमंत्रित किया, जिन्होंने छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति दी इसी क्रम में नवोदय विद्यालय योजना की एक अनूठी विशेषता राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छात्रों का एक भाषाई क्षेत्र के नवोदय विद्यालय से दूसरे भाषाई क्षेत्र के विद्यालय में प्रवासन के अंतर्गत आये विद्यार्थियों नें छत्तीसगढ़िया लोकनृत्य की मनमोहक प्रस्तुत दी। विद्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य के हिंदी भाषा के शिक्षक नितिश मंडल ने कन्नड़ भाषा में कर्नाटक राज्य के समृद्धि और समर्पण पर गीत “कलादरे नानु बेलूरिना गुड़ियली इरुवे” का सुमधुर गायन कर उपस्थित सभी का मन मोह लिया। विद्यालय के ऊर्जावान कन्नड़ भाषा शिक्षक राघवेंद्र सोनार नें कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कर्नाटक का ऐतिहासिक परिचय दिया साथ ही उन्होंने बताया कि राज्योत्सव में राज्य के गौरव, संस्कृति और एकता का जश्न मनाया जाता है। राज्य के इतिहास, 1 नवंबर 1956 को कन्नड़ भाषी क्षेत्रों के एकीकरण से इसके गठन, और भविष्य में राज्य की समृद्धि के लिए मिलकर काम करने के संकल्प पर जोर दिया जाता है। उन्होंने अपने वक्तव्य में भाषा, जाति और धर्म की बाधाओं से ऊपर उठकर एकता बनाए रखने का आह्वान किया जाता है। कार्यक्रम में इतिहास शिक्षक एसके पाण्डेय नें कर्नाटक एवं छत्तीसगढ़ राज्य के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और इन राज्यों के इतिहास से लेकर वर्त्तमान तक के यात्रा से सभी को अवगत कराया। कला शिक्षक ज्ञान प्रकाश नें मंच को एक खाली कैनवास के रूप में देखा और उसे एक जीवंत कलाकृति में बदल दिया। उनके योगदान ने छात्रों को केवल कला तकनीक ही नहीं सिखाई, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और आत्म-अभिव्यक्ति की शक्ति भी दी। उन्होंने छात्रों को एक विचार-विमर्श प्रक्रिया के माध्यम से प्रोत्साहित किया, जिससे वे अपनी रचनात्मकता को खुलकर व्यक्त कर सके। संगीत शिक्षक पी गायकवाड़ नें कार्यक्रम के दौरान छात्रों को वाद्ययंत्र बजाने, गायन के साथ तालमेल बिठाने और एक समूह के रूप में प्रदर्शन करने के लिए तैयार किया। उन्होंने यह प्रस्तुति में साथ देते हुए सुनिश्चित किया कि हर छात्र मंच पर सहज और आत्मविश्वास से भरा महसूस करे। कक्षा नवमी के छात्रों द्वारा मंच पर संगीत बैंड कि प्रस्तुति दी गई जिसमे विभिन्न गीतों का वादन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। नृत्य शिक्षिका दुर्गेश्वरी नें इस बात पर जोर दिया कि नृत्य आत्मविश्वास और रचनात्मकता को कैसे बढ़ाता है, जो छात्रों को “मैं नहीं कर सकता” को “मैं कर सकता हूँ” में बदलने की कला सिखाता है। इस कार्यक्रम ने इन सिद्धांतों को शानदार ढंग से प्रदर्शित किया, जिसमें छात्रों ने मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और अपने शिक्षिका के मार्गदर्शन में अपनी पूरी क्षमता को साकार किया। कार्यक्रम में बारहवीं के छात्र मेघराज नें छत्तीसगढ़ के पारम्परिक वेशभूषा व खानपानों से एवं कर्नाटक के समृद्धि का परिचय कराया। विद्यालय प्रमुख प्राचार्या बी. गिरिजा नें कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम के प्रबंधन एवं मनमोहक प्रस्तुतियों की सराहना की। उन्होंने कहा यह अनूठा संगम इस बात का प्रमाण था कि भले ही राज्यों का गठन भाषाई या भौगोलिक आधार पर हुआ हो, लेकिन देश की सांस्कृतिक विविधता ही भारत की वास्तविक शक्ति है, जो सभी को एकता के सूत्र में पिरोती है। समारोह के अंतिम कड़ी में वरिष्ठ शिक्षिका मंदोदरी सेठ नें प्राचार्या, शिक्षक, शिक्षिका, विद्यार्थीगण एवं प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से कार्यक्रम में शामिल होने वालों को धन्यवाद ज्ञापित किया और आगे भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की इच्छा जताई। ऐसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम न केवल कला और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं, बल्कि विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लोगों को एक-दूसरे के रीति-रिवाजों और परंपराओं को बेहतर ढंग से समझने का अवसर भी देते हैं। विद्यालय का यह समारोह एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने वाला कदम हैं।











