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बेजुबान जानवरों के प्रति दया ही इंसानों की सच्ची इंसानियत- मोहन तिवारी

khabre Aap Tak by khabre Aap Tak
21 July 2024
in छत्तीसगढ़
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बेजुबान जानवरों के प्रति दया ही इंसानों की सच्ची इंसानियत- मोहन तिवारी
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बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

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जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है। जानवर मन से सच्चते होते है। उनमें भी भावनाएं होती है। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते है। आज के समय में इंसान इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ नहीं दिखता है। लेकिन दूसरी तरफ दो वक्त की रोटी और कुल पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते है। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द भावनाएं होती है। इसी तरह का दृश्य बलौदाबाजार जिले नगर पंचायत लवन में देखा गया। यहंा एक व्यक्ति के द्वारा जानवरों से अथाह पे्रम करते देखा गया।

इस संदर्भ में लवन निवासी मोहन लाल तिवारी उर्फ बैगा महराज उम्र 70 वर्ष से जानकारी लिया तो उसने बताया कि वे बीते 20-22 वर्षो पहले से बेजुबान जानवरों की सेवा करते आ रहे है। वे स्वयं गरीब परिवार के होने के बावजूद रोजाना 60 से 70 रूपये का पारले बिस्किट बेजुबान स्वानों को खिलाता है, साथ ही टब में पानी लेकर पिलाता है। गर्मी के दिनों में सुबह शांम इन बेजुबान स्वानों को पानी पिलाने के लिए रोजाना अहिल्दा रोड पहुंचकर पानी पिलाता है। मोहन लाल तिवारी महराज का कहना है कि इंसान चालाक होता है उसमें सोचने समझने की क्षमता होती है, लेकिन जानवर चालक नहीं होता है, वह किसी से छल कपट करना नहीं जानता वह तो अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, जैसा हम उसे सिखाते है वैसा वह करते है इसलिए हमें पशुओं से पे्रम रखना चाहिए और उन्हें भी प्रकृति का एक रूप समझकर उन पर दया दिखानी चाहिए। मैं जानता हॅू कि बहुत से लोग इन बेजुबानों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रखते। हमें इनके प्रति प्रेम रखना चाहिए और उनके साथ अच्छा वर्ताव करना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना काल मंे जब यह स्वान होटल, ढाबा, दुकानों के आसपास घुमकर अपना पेट पालते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने की वजह से सब बंद रहा। सड़को पर भूख से व्याकूल होते देख उसने इन बेजुबानों को भोजन, पानी दिया। वे कहते है कि वे इस प्रकार लगभग 20-22 वर्षो से इन आवारा स्वानों को बिस्किट सहित खाने पीने का सामान खिलाते आ रहे है। मोहन तिवारी ने कहा कि वे लगभग 15 से 20 श्वानों की सेवा करते आ रहे है, उसे देखकर ही श्वान दौड़े चले आते है, उनके आने पर एक सुखद अनुभूति होती है।
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